Wednesday, 14 March 2012

मन की खटपट

कहू के धन माल है , कहू के परिवार !
तुलसी आस गरीब के, राम नाम आधार !!

मन की गति है अटपटी, भक्ति मन लगाये न कोय !
जो मन की खटपट मिटे, तो चटपट दर्शन होय  !!

राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट !
अंत काल पछतायेगा, प्राण जायेंगे छूट !!

तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग !
हिलिए मिलिए प्रेम सो नदी नाव संयोग !!

जून नवम्बर जानिए , अप्रैल सितम्बर तीस !
फरबरी को छोड़कर, बाकि सब इकतीस !!

Monday, 5 March 2012

भजले हरी हरी , ओ पगले भजले हरी हरी !!


सुन मानव अब त्याग भी झूठा मान भिमान !
सुन मानव अब त्याग भी झूठा मान भिमान !
दो दिन के ये ठाट है, दो दिन की ये शान !
भजले हरी हरी , ओ पगले भजले हरी हरी !!

दाम बिना निर्धन दुखी तृष्णा बाद धनबान !
दाम बिना निर्धन दुखी तृष्णा बाद धनबान !
कहुं न सुख इस जग में देखे चरों धाम !!
भजले हरी हरी , ओ पगले भजले हरी हरी !!

सर्वनाश के मूल है ये सब भोग विलास !
सर्वनाश के मूल है ये सब भोग विलास !
खारे पानी से बुझे कब अमृत की प्यास !
भजले हरी हरी , ओ पगले भजले हरी हरी !!